तो होंठों पे झूठी हँसी और आँखों में सैलाब लिए होते हे । तो होंठों पे झूठी हँसी और आँखों में सैलाब लिए होते हे ।
जैसे पन्ने तुम किताब के यूँ ही पलट गये.... जैसे पन्ने तुम किताब के यूँ ही पलट गये....
हज़ार बार ये सफ़्हे किताब के पलटे। सिखाया माँ ने जो पोथी सिखा नहीं पाई। हज़ार बार ये सफ़्हे किताब के पलटे। सिखाया माँ ने जो पोथी सिखा नहीं पाई।
बाकी दुनिया अनजानी थी ना प्यार मोहब्बत की बातें थी ना ही घंटो मुलाकातें थी, बाकी दुनिया अनजानी थी ना प्यार मोहब्बत की बातें थी ना ही घंटो मुलाकातें थी,
वास्तव में मानव धर्म हम सभी को निभाना है। वास्तव में मानव धर्म हम सभी को निभाना है।
कहीं मोहन बजायें बासुरियां कहीं फिर वही राधा दिवानी है। कहीं मोहन बजायें बासुरियां कहीं फिर वही राधा दिवानी है।